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विश्व पर्यटन दिवस 2024 पश्चिम रेलवे: अतुल्य भारत की अतुल्य रेल भारत के विविध और चिरस्‍थायी खजानों का प्रवेश द्वार

विश्व पर्यटन दिवस 2024 पश्चिम रेलवे: अतुल्य भारत की अतुल्य रेल भारत के विविध और चिरस्‍थायी खजानों का प्रवेश द्वार
 | न्यूज़ डेस्क  |  ताज़ा खबरें/देश

पश्चिम रेलवे सिर्फ़ परिवहन की जीवनरेखा ही नहीं है, बल्कि यह भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित और विविधतापूर्ण पर्यटन स्थलों का प्रवेश द्वार भी है। कच्छ के रण में मौजूद शुष्क नमक के मैदानों से लेकर राजसी मंदिरों और शांत नदी किनारे तक पश्चिम रेलवे यात्रियों को कई तरह के परिदृश्यों, संस्कृतियों और इतिहास से जोड़ती है। पश्चिम रेलवे प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक भव्यता और आध्यात्मिक गहराई का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है, जो इसे भारत के पर्यटन उद्योग में एक प्रमुख योगदानकर्ता बनाता है। इस विश्व पर्यटन दिवस पर रेलवे देशभर में फैले अपने व्यापक रेल नेटवर्क के माध्यम से इस अविश्वसनीय भूमि के चमत्कारों को देखने के लिए यात्रियों का स्वागत करती है।

हम अपनी यात्रा की शुरुआत पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल मंडल के सुंदर बिलिमोरा-वघई रेल खंड से करते हैं, जो गुजरात राज्य के डांग क्षेत्र के हरे-भरे जंगलों और आदिवासी गांवों से होकर गुजरने वाली एक नैरो-गेज लाइन के माध्यम से यात्रियों को एक आकर्षक यात्रा पर ले जाता है। यह आकर्षक और कम ज्ञात मार्ग भारत के समृद्ध रेलवे इतिहास की याद दिलाता है और धीमी गति से चलते हुए प्रकृति से जुड़ने और ग्रामीण भारत की शांति का अनुभव की तलाश करने वालों के लिए एकदम सही है। रेलवे ने इस लाइन को एक विरासत अनुभव के रूप में संरक्षित किया है, जो पर्यटकों को समय में पीछे जाने और एक शांतिपूर्ण, अविस्‍मरणीय ट्रेन यात्रा का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है। वडोदरा मंडल में जाने पर कोई भी व्यक्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के साथ भारत की वास्तुकला की चमक देख सकता है, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। नर्मदा नदी के तट पर स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल को यह भव्‍य श्रद्धांजलि न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी है। पश्चिम रेलवे इस प्रतिष्ठित स्थल को सीधी रेल कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जिससे देश के सभी कोनों से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। ट्रेन से आने वाले पर्यटक स्मारक की विशालता को देखकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं, साथ ही सरदार सरोवर बांध और उसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता की शानदार पृष्ठभूमि की सराहना भी कर सकते हैं।

जैसे ही ट्रेन अहमदाबाद मंडल से गुज़रती है, यह विरासत और आश्चर्य से भरी जगहों के दरवाज़े खोलती है। यात्रियों का स्वागत गुजरात के प्राचीन चमत्कारों द्वारा किया जाता है, जहाँ पर्यटक पाटन शहर में सरस्वती नदी के तट पर स्थित रानी की वाव, जटिल नक्काशीदार बावड़ी को देखने का आनंद ले सकते हैं। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है, जो अपनी शानदार वास्तुकला और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, पाटन स्टेशन से सिर्फ़ 30 किमी दूर स्थित विस्मयकारी मोढेरा सूर्य मंदिर भारत की प्राचीन शिल्पकला और स्थापत्य कला का प्रमाण है। पश्चिम रेलवे द्वारा प्रदान की गई निर्बाध कनेक्टिविटी यह सुनिश्चित करती है कि गुजरात के ये रत्न देश भर के यात्रियों की पहुँच में हों। सर्दियों के मौसम की शुरुआत के साथ, कच्छ के रण का विशाल और सफ़ेद विस्तार रोमांच चाहने वालों को आकर्षित करता है।

रतलाम मंडल के दर्शनीय स्थल इतिहास, आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता को एक साथ जोड़ते हैं। जैसे ही ट्रेन इस क्षेत्र से गुज़रती है, पर्यटकों को क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित महाकालेश्‍वर मंदिर एवं नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन होते हैं, जो आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। सुंदर पातालपानी - कालाकुंड रेल मार्ग, झरनों और घाटियों के लुभावने दृश्यों के साथ, विशेष रूप से मानसून के दौरान जीवंत हो जाता है। पश्चिम रेलवे एक हेरिटेज मीटर गेज ट्रेन चलाता है, जो इस सुंदर वैभव को देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ खींचती है। अन्य स्थलों में से एक चित्तौड़गढ़ है, जहाँ प्रतिष्ठित चित्तौड़गढ़ किला इस क्षेत्र की पहचान है। अपनी भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाने वाला यह सदियों पुराना किला और इसके अवशेष हमें राजपूतों की वीरता और बहादुरी की याद दिलाते हैं।

भावनगर मंडल भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक स्थलों का घर है, जिसमें सोमनाथ मंदिर, पालीताना के जैन मंदिर और महात्मा गांधीजी का जन्मस्थान पोरबंदर शामिल हैं। प्रकृति प्रेमी गिर राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा कर सकते हैं, जो राजसी एशियाई शेरों का घर है, जहाँ जूनागढ़ स्टेशन से पहुँचा जा सकता है, जो गिरनार हिल, उपरकोट किला और जटाशंकर महादेव झरने जैसे ऐतिहासिक स्थलों के लिए रेलवे स्टेशन के रूप में भी काम करता है। राजकोट मंडल में द्वारका का आध्यात्मिक शहर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को अपने मंदिरों, शांत समुद्र तट और समृद्ध संस्कृति की ओर आकर्षित करता है।

हर साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पर्यटन की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना और यह प्रदर्शित करना है कि यह दुनियाभर में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों को कैसे प्रभावित करता है। इस वर्ष "पर्यटन और शांति" को थीम के रूप में चुना गया है। यह थीम इस बात पर प्रकाश डालती है कि अंतरराष्ट्रीय सद्भाव, सांस्कृतिक समझ और शांति को बढ़ावा देने में पर्यटन कितना महत्वपूर्ण है। पर्यटन आपसी सम्मान को बढ़ावा देता है और विभिन्न मूल के व्यक्तियों को एकजुट करके संघर्ष को कम करता है। पश्चिम रेलवे का विशाल नेटवर्क यात्रियों को भारत के सबसे कीमती स्थलों से जोड़ने में एक अपरिहार्य भूमिका निभाता है, चाहे वह गुजरात का प्राचीन इतिहास हो, मध्य प्रदेश के आध्यात्मिक अभयारण्य हों या समकालीन भारत के आधुनिक चमत्कार हों। इन विविध क्षेत्रों को आसानी से सुलभ बनाकर, पश्चिम रेलवे न केवल पर्यटन को बढ़ावा देता है, बल्कि यात्रा के अनुभव को भी समृद्ध करता है, जिससे आगंतुकों को अपने अच्छी तरह से जुड़े रेलवे के माध्यम से भारत के दिल की खोज करने में मदद मिलती है।

विश्व पर्यटन दिवस मनाते हुए आइए हम भारतीय रेल की उस महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करें, जो हमारे देश के अद्भुत पर्यटन लों को हम सभी के करीब लाने में निभाती है।

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